- सेवा भारती के स्वास्थ्य मित्र योजना को लेकर एलएमएनटीआरआई डेलीगेट्स उत्साहित
- मनुष्य जीवन की सार्थकता निःस्वार्थ सेवा करने का मुख्य आधारः सोमनाथ
- वर्तमान में न्यूरोथैरेपी का भविष्य उज्जवल हैः डा.अजय गांधी
- यह पूर्णतः दुष्प्रभाव रहित नैसर्गिक प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान हैः डा.रामगोपाल
अशोक सिंह भारत
डेली संवाद, जालंधर
सामाजिक कर्तव्यों के प्रति नैतिकता पूर्ण जिम्मेदारियो का निर्वाहन और निःस्वार्थ कल्याणकारी सेवा भाव ही सेवा भारती का मुख्य मिशन है। यह जाति-धर्म एवं अमीर गरीब की भावनाओं से परे सभी वर्गों के लिए एक कामन प्लेटफार्म है।
ये उद्गार जालंधर के स्थानीय वि्धा धाम में सेवा भारती व लाजपत मेहरा न्यूरोथेरेपी रिसर्च व ट्रेनिंग इस्टीटयूट द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सेमिनार “स्वास्थ्य मित्र योजना के क्रियान्वयन से सामाजिक समरसता में सेवा भारती के योगदान” चिंतन मंथन गोष्ठी में व्यक्त किए।
स्वास्थ्य मित्र योजना के क्रियान्वयन में अपना अपना सहयोग अवश्य करे
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उन्होंने न्यूरोथैरेपी चिकित्सा विधा के जनक स्व.डा. लाजपत राय मेहरा की इस नैसर्गिक प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली और स्वस्थ समाज के लिए इसके महान योगदान की मुक्त कंठों से विवेचना और सराहना की। उन्होंने इसके अतीत के शुरुआती दौर की गाथा और इसके प्रचार प्रसार में सेवा भारती के मधुर योगदान पर भी विस्तृत रोशनी डाली।
उन्होंने इस मौके पर पंजाब के विभिन्न जिलों से आए हुए एलएमएनटीआरआई के प्रतिनिधियों से पुरजोर आह्वान किया कि वे लोग निःस्वार्थ भाव से सेवा भारती के स्वास्थ्य मित्र योजना के क्रियान्वयन में अपना अपना सहयोग अवश्य करे। क्योंकि स्वस्थ समाज की परिकल्पना के साकार होने और सामाजिक समरसता में आप सबका योगदान अनुकर्णीय रहेगा।
मान्यता के लिए बृहद सामाजिक प्रभाव का होना आवश्यक
सेवा भारती के पंजाप महासचिव सोमनाथ ने कहा कि समाज के हर समस्या का समाधान पैसे से संभव है, ऐसा मैं नहीं मनाता हू। सामाजिक समरसता में निःस्वार्थ सेवाभाव एक अमृत है, जो जीवन को दीर्घायु देता है। न्यूरोथैरेपी विधा के पूर्वाध में इसके स्थापन, प्रचार व प्रसार में सेवाभारती का अतुल्यनीय योगदान रहा है, जो आज भी यथावत है।
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विगत तीन दशकों से नैसार्गिक प्राकृतिक चिकित्सा विधा से स्वस्थ समाज की अवधारणा को अमली जामा पहनाते आ रही इस चिकित्सा प्रणाली की सरकारी विभाग आयुष की मान्यता को लेकर भी सेवाभारती पूरी तरह से गंभीर प्रयास करती आ रही है। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि इसके लिए सभी को एक मंच पर एक संगठन के रूप आना होगा और फिर एक शक्ति के रूप में इसकी प्राप्ति के लिए प्रयास करने होंगे, क्योंकि संघे शक्ति की अवधारणा यूं ही नहीं बनी है।
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इस विधा को और भी आधुनिक बनाने के लिए इसके अनुसंधान और आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता कराने को लेकर भी संजीदा है। उन्होंने प्रतिनिधियों को सलाह दी कि इसके लिए अन्य भारतीय प्राकृतिक एवं ऋषिकुल चिकित्सा पद्धतिका भी निरंतर अध्यन करते रहे। ताकि इसे आयुर्वेद से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि किसी भी चिकित्सा प्रणाली की मानयता के लिए यह अत्यंत जरूरी है कि वह समाज में किताना प्रभावित है, बगैर समाजिक प्रभाव के मान्यता की कल्पना कोरी रहेगी।
प्रत्येक छह गांवों में एक स्वास्थ्य मित्र होगा नयुक्त
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इस योजना पर रोशनी डालते हुए सोमनाथ जी ने बताया कि पहले चरण में यह योजना पूरे पंजाब में लागू की जाएंगी। इसके लिए हर छह गांवों पर एक स्आवास्पथ्य मित्र की नियुक्ति की जाएंगी। यह शरीर के विभिन्न जोड़ों के दर्द घुटनों, कमर, सरवाइकल, माइग्रेन, बीपी तथा और शुगर जैसी बीमारियों की चिकित्सा सेवा प्रदान करेगा।
उन्होंने सभी डेलीगेटसों से अपील की कि सेवा भारती द्वारा उन लोगों को पाच-दस स्वास्थ्य मित्र प्रशिक्षण के लिए दिए जाएंगे। उन लोगों को प्रशिक्षित करे और कर्तव्य पक्ष के लिे दिक्षित करे। इसके बाद उनकी नियुक्ति की जाएंगी। इसके लिए उनको मानदेय भी दिया जाएगा। इस योजना से जहां स्वस्थ समाज की अवधारणा फलीभूत होगी वही समरसता भी बढे़गी।
सेवाभाव की यह योजना सम्मान जनक रोजगार पूरक होगीः डा.अजय गांधी
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लाजपत राय न्यूरोथेरीपी रिसर्च एवं ट्रेनिंग इंस्टीटयूट फैजरेशन के राष्ट्रीय प्रधान डा. अजय गांधी ने सेवा भारती और एलएमएनटीआरटीआई के अकथनीय संबंधों की प्रसांगिकता और उसकी प्रधानता को स्वीकारा। उन्होने बताया कि यह प्रोफेशन के साथ सेवाभाव को भी जोड़ने वाली महति कल्याणकारी योजना है।
यह योजना जहां समाज के लोगों को विभिन्न रोगों से मुक्त कराएंगी, वहीं समाज में इस सेवाभाव को कर्तव्यनिष्ठता के साथ निभाने वाले स्वास्थ्य मित्रों के सम्मानजनक रोजगार का आधार भी बनेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना की कल्पना एलएमएनटीआरटीआई की है, जिसे अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी सेवा भारती ने अपने निःस्वार्थ सेवाभाव के उद्देश्य से सेवाभारती ने उठाई है।
यह पूर्णतः दुष्प्रभाव रहित नैसार्गिक चिकित्सा प्रणाली हैः डा. राम गोपाल
एलएमएनटीआरटीआई के राष्ट्रीय महासचिव डा. रोम गोपल ने बताया कि यह चिकित्सा पद्धति पूरी तरह से प्राचीन भारतीय ञृषिकुल चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। इसमें शल्य चिकित्सा को छोड़कर शरीर संबंधी प्रत्येक सामान्य से गंभीर बीमारिया की सुगम चिकित्सा संभव है।
इस पद्धति में मनुष्य शरीर के स्नायु तंत्रिकाओं और रक्त प्रवाह तंत्रों को दबाव देकर रोगमुक्त करने का प्रावधान है। इसमें किसी भी प्रकार की औषधि का प्रयोग नहीं किया जाता है। लेकिन रोग के चलते शरीर के कमजोर पड़ने वाले उक्त अंग विशेष को पर्याप्त त्दुरुस्त बनाने के लिए अब हर्बल औषधि का प्रयोग किया जाने लगा है।
जिसके चलते शरीर जहां जल्दी रोगमुक्त होता है वहीं रोग से क्षीण हुए शरीर को तंदुरुस्त भी बनाया जाता है। इस दिशा में और भी अनुसंधान किए जा रहे है, जिनका मौजूदा मेडिकल साइंस में इलाज शल्य द्वारा संभव है, ऐसे रोगों का इलाज न्यूरोथैरेपी में बड़ा ही सुगम हो गया है।